Sunday, 8 May 2016

सतनाम परियोजना 
        छत्तीसगढ प्रांत में अनु.जाति (सतनामी) की संख्या 24.19 लाख है, जो कि कूल जनसंख्या का 11.6 प्रतिशत है। यह समाज परम पूज्य गुरू घासीदास जी को अपना धर्म प्रवर्तक मानता है। छत्तीसगढ का ग्राम गिरौदपुरी उनका मुख्य स्थान है। छत्तीसगढ में सतनामी समाज को मतांतरित करने का खेल बहुत पूराना है, अंग्रेजों के समय राज्य के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में जातिवादी प्रथाएं खुले रूप से चलन में रहा, जिसके फलस्वरूप सतनामियों को अनेक भेदभाव व अपमान जनक कार्य करने को विवश होना पड़ा। शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार के लिये दर-दर भटकना पड़ा।        
 धर्मांतरण के लिये यह परिस्थिति एक महत्वपूर्ण कारण बनी। सतनामी समाज गुरू परंपरा को मानता है और मूर्ती पूजा का विरोध करता है। धर्मजागरण द्वारा सन् 2004 से सतनाम परियोजना का संचालन किया जा रहा है। धर्मजागरण के अ.भा. सह प्रमुख श्री राजेन्द्र प्रसाद जी की परिकल्पना से प्रांत में समरस्ता यात्रा निकालने की योजना बनाई गई, इस हेतु वर्ष 2004, 2006, 2011 एवं 2014 में परम पूज्य गुरू घासीदास जी की सतनाम संदेश यात्रा निकाली गई। 

पहली यात्रा में 13 सौ गांव से 4 लाख लोग शामील हुवे। इस कार्यक्रम में मूर्ती पूजा के स्थान पर चरण पादूका का पूजन किया गया। जिसमें सभी समाज का जबरदस्त समर्थन प्राप्त हुआ। सतनामी समाज द्वारा अद्भूत स्वागत एवं विराट जन सैलाब गुरु के दर्शन हेतु उमड़ पड़ा गागर में सागर सा महशूस होने लगा। सन् 2004, 2006 एवं 2011 में भी अद्भूत स्वागत हुआ। समाज के अन्दर विचारों का मन्थन प्रारंभ हुआ। 
प्रत्येक व्यक्तियों में धर्मान्तरण के प्रति रोष देखे गये परिणाम स्वरुप विचार गोष्ठी, सामाजिक सम्मेलन, बैठकों का दौर प्रारंभ हुआ। सभी के दिलों दिमाग में एक ही विषय मतान्तरण रोकना, घर वापसी कराना, पादरियों और मुसलमानों को गांवों में घुसने नहीं देना, इसका परिणाम 150 से अधिक गांव ईसाई मुक्त हुए। अब समाज के लोग स्वस्फूर्त घर वापसी कर रहे है।
धर्मजागरण को यह कल्पना नही था कि इस कार्य को समाज का व्यापक सहयोग प्राप्त होगा ? लेकिन प्रांत प्रमुख श्री राधेश्याम जलक्षत्री जी के कुशल नेतृत्व में प्रांत सतनाम परियोजना प्रमुख भाई दीनानाथ खुंटे के द्वारा समाजिक बैठकों में धर्मांतरण विषय को लगातार उठाने के कारण प्रांत में मतांतरण तो रूका ही धिरे-धिरे समाज में जागरण पैदा हुआ और समरसता का निर्माण हुआ। सभी वर्गाे के लोग गुरू बाबा घासीदास जी के उपदेशों को मानने लगे और सामाजिक सदभाव का वातावरण बनने लगा है। यह अद्भूत कार्य है इस काम में समाज के हर वर्ग के लोगों का सहयोग भी मिल रहा है। इन यात्राओं का समाज में बड़ा व्यापक प्रभाव पड़ा। समाज में नव जागरण का दौर चला और समरस्ता व भाई-चारे का निर्माण होने से हिन्दुत्व भाव को समझने में लोगों ने रूची दिखाई है। 
पहली यात्रा में समाज के धर्मगुरू जगतगुरू श्री विजय गुरू जी पूरे समय साथ रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रांत प्रचारक रहे श्री विजय देवांगन जी भी यात्रा के साथ चलते थे। प्रांत संघचालक मान. श्री बिसराराम यादव जी, जामड़ी आश्रम के संत पूज्य श्री राम बालकदास जी, विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख श्री रमेश मोदी जी तथा कई स्थानों पर छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह जी एवं मंत्री मंडल के अनेक सदस्यों ने यात्रा का स्वागत किया।
 इसी प्रकार सभी यात्राओं में साधु संतों के साथ समाज के प्रबुद्धजनों का भरपुर सहयोग प्राप्त हुआ।  

                            @ हेमंत कुर्रे 


No comments:

Post a Comment