सतनामी समाज के द्वितीय गुरू राजा गुरू बालकदास जी ने समाज को शक्तिशाली बनाने के लिए सतनाम सेना की स्थापना किया। सेना में शामिल प्रत्येक सेनानी को पोषाक श्वेत रखा गया कमर में पट्टा, सिर पर टोपी और हाथ में भाला दिया गया।
गुरू बालकदास जी के दो अंग रक्षक, सरहा जोधाई दोनों महाबली 24 घंटा गुरू संग में रहते थे उनके एक हाथ में ढाल एक हाथ में तलवार, सीने व भूजा में लोहे का कवच, हाथी, घोडा-पालकी, ठहरने के लिए तम्बू का सामान सहित हजारों की संखय में लाव-लश्कर के साथ सेना एकत्रित किये थे।
गरू बालकदास जी ने सामाजिक न्याय व्यवस्था की सफल संचालन के लिए प्रत्येक गांव में 1 छड़ीदार महंत, 1 भण्डारी, अठगवां के अंतर्गत दौरा महंत, तहसील महंत, जिला महंत, क्षेत्रीय महंत, राज महंत का पद देकर गुरू गद्दी बनाये रखने के लिए इन सभी की व्यवस्था की थी। जिनका पालन समाज में आज तक किया जा रहा है। हालांकि आठगवां समिति वर्तमान में नगण्य है लेकिन समाज में छड़ीदार भण्डारी एवं राज महंत आज भी अपनी सेवा दे रहे हैं।
स्त्रियों में आठ गुण:-
(1) अविवेक (2) माया (3) भय (4) साहस (5) झूठ (6) चंचलता (7) अशौच (8) निर्दयता
स्त्रियों के सोलह सिंगार:-
(1) अंग (2) मंजन (3) द्विय वस्त्र (4) महावर (5) केश (6) माघ (7) पोर (8) माथा (9) मेहंदी (10) उबटन
(11) अमैषा (12) सुगंध (13) मुखराग (14) दंत (15) उद्यराग (16) काजल
मनुष्यों में प्रकृति गुण:-
(1) ज्ञान (2) वैराग्य (3) योग विज्ञान (4) दया (5) क्षमा (6) संतोष (7) श्रद्धा (8) सत्य (9) विवेक (10) अहिंसा (11) विचार (12) साहस (13) शिलता (14) संकोच (15) उदारता (16) संयम (17) त्याग (18) पांडित्य (19) परिश्रमी (20) अनुशासन (21) ब्रम्हचर्य (22) विनय (23) उद्यमी (24) मृदुलता
मनुष्यों में प्रकृति अवगुण:-
(1) अज्ञानी (2) निर्दयी (3) हिंसक (4) अविवेक (5) कामी (6) कुविचार (7) असत्य (8) क्रोधी (9) लोभी (10) लम्पट (11) आलसी (12) निर्लज (13) मुख अवज्ञ (14) ईर्षा (15) द्वेश (16) चुगली (17) अहंकारी (18) अविश्वासी
महिलाआंे के अलंकारी प्रकृति:-
(1) लज्जा (2) संकोच (3) श्रद्धा (4) शील
(5) भक्ति (6) प्रेम (7) ममता (8) विश्वाास
(9) परिश्रम (10) विनिता (11) मृदुलता (12) प्रसंन्नता
(13) पवित्रता (14) उदारता (15) सहंत (16) दृढता
(17) प्रति प्रणा (18) साहस (19) स्वक्षमता (20) संयम
(21) नियम (22) दया (23) निर्लोभ (24) सत्य
(25) अहिंसा (26) निस्काम (27) त्याग (28) तपस्या
(29) संतोष (30) संकल्प
अवगुण प्रकृति का त्याग:-
(1) निर्जला (2) निसंकोच (3) आलस्य (4) कठोरता (5) अपवित्रता (6) छल कपट (7) अनित्य (8) कंर्षण (9) भोगी (10) श्रृंगार (11) हास्य (12) निर्दयी (13) लम्पट (14) चोरी (15) चुगली (16) असत्य (17) हठ (18) अज्ञान (19) चंचलता
भोजन पूर्व पंच दोष निवारण करना:-
(1) अशुद्ध बर्तन (2) अशुद्ध जल (3) अशुद्ध शरीर (4) बिना निमारे चावल व भाजी (5) मुख जुठन नहीं रहे।
मानव शरीर वर्णन:-
इस शरीर में 10 इंद्रिय दरवाजा है 2 आंख 2 कान 2 नाक 1 गुदाद्वार 1 मैथून 1 मुख 1 त्वचा कुल 10 इंद्रिय है। मन राजा है, तृष्णा रानी है, वासना और कल्पना पाठ के सखा हैं, लोभ मंत्री है, क्रोध सेनापति है, देह सगुन है, नाम अमर है, सुक्ष्म निर्वाण है, माया मन आशा का तृष्णा है, देह नश्वर है।
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