पुजा सामग्री गुरू गद्दी के लिए:-
कलश, दीपक, रूई, घी, चन्दन, जल, सफेद कपड़ा, दो नग श्वेत ध्वजा, जनेऊ, दो नारियल, गुगल धुप, अगरबत्ती, सुपारी, लौंग, इलायची, पंच मेवा, शक्कर, गुड़, खीर, संत भोग प्रसाद, कलेवा, चैक पुराने के लिए चावल का पिसान (आटा), सात नग बंगला पान, सफेद मिट्टी, दूध एवं मधुरस यह सामग्री एकत्र करके पुजा के पूर्व प्रसाद को तैयार रखें। घर-आंगन को साफ-सफाई करके व्रतधारी को शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए एवं सतनाम कथा का श्रवण शांतिपूर्व बैठकर करना चाहिए।
गुरू गद्दी:-
परमपूज्य गुरू घासीदास जी मूलतः प्रकृति के पुजारी थे आकार-साकार को लेते ही जगत को परखाया है। मुख्य रूप से पृथ्वी को ही गुरू गद्दी माना गया है।
जगत में जितने प्राणीयों का निवास है वह सब का गददी रूपी स्थाई निवास है और अंत है वही गद्दी के नीचे पर दफन कर सत्य में विलीन हो जाते हैं। जन्म मरण का उत्तम स्थान एक ही है। इसलिए गुरू गद्दी स्थापित करने के लिए आसन बनाकर सफेद वस्त्र से सजाकर नीचे में कलश घी का ज्योत जलाकर लौंग इलाईची बादाम, छोहारा, काजू-किसमिश, बंगला पान में भोग लगाकर सतनाम धर्म के संतगण पूजा अराधना करते हैं।
जैतखाम स्थापना:-
प्रकृति से उत्पन्न सरई पेंड़ का 25 हाथ लम्बा गोल छोलवाकर तीन हुक लगा के बांस का डंडा कम से कम 5 हाथ लम्बा हो उसके उपर सफेद वस्त्र का झण्डा लगाकर तैयार करें 4 हाथ का गढ्ढा खोदकर नीचे में कुछ धातु जैसे सोना, चांदी, सिक्का, हल्दी इत्यादि डालकर घी से हाथा देवें। नारियल, सुपारी, जनेऊ, चंदन लगा करके, सब संत मीलकर के गड़ाने चाहिए। विधिवत स्थापना करने के उपरांत श्वेत ध्वजा फहराने चाहिये।
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