गुरू घासीदास एवं माता सफुरा से तीन पुत्र एवं एक पुत्री हुआ।
2. बालकदास जी का एक पुत्र साहेबदास हुआ। बालकदास जी की हत्या कर दी गई।
3. आगरदास जी को सन् 1875 में एक पुत्र प्राप्त हुआ उनका नाम अग्रमनदास था।
4. सुभद्रा माता का विवाह हो गया।
गरू आगरदास जी का विवाह कनुका माता से हुआ था। उसी समय अपने बड़े भाई गुरू बालकदास की (विधवा) पत्नि राधा माता जी को स्वीकार कर लिया। जिनसे सन् 1876 में एक पुत्र प्राप्त हुआ जिसका नाम अजबदास रखा गया।
अजबदास का विवाह गायत्री माता से हुआ इनसे गुरू अतिबलदास बाबा जी का जन्म सन् 1894 ई. में हुआ। राधा माता ने अपने विवाहित पति गुरू बालकदास जी के संयोग से उत्पन्न पुत्र गुरू साहेब दास की विवाहित पत्नि कर्री माता को गुरू अजबदास जी को स्वीकार कराई। जिनके संयोग से गुरू मुक्तावनदास जी का जन्म सन 1898 एवं गुरू जगतारनदास जी का सन् 1901 ई. में जन्म हुआ।
गुरू मुक्तावनदास एवं ललीता माता जी से प्रथम पुत्र अम्रदास जी और अम्रदास एवं मीना के संयोग से गुरू धर्मदास एवं गुरू गोविंद दास।
द्वितीय पुत्र बालदास जी एवं रूकमणी माता के संयोग से गुरू ढालदास (आगे और भी वंशज हैं।
तृतीय पुत्र नवरत्न दास एवं संत माता के संयोग से भी वंश वृद्धि हुए।
गुरू जगतारन दाज जी एवं कृती माता जी के संयांग से 3 पुत्र हुए -
(1) गुरू जगमोहन दास एवं फिरतीन माता के संयोग से सेवनदास, उत्तमदास एवं नेमनदास आगे वंशज और भी है ....
(2) गुरू मनमोहन दास एवं माता संत कुमारी से देउमनदास व सतखोजन दास जी।
(3) गुरू दयावंत दास एवं एम.माता के संयोग से पालकदास, द्वारिका दास, देवेन्द्रदास सुपुत्र हुए ।
गुरू अतिबलदास एवं भगवंतीन माता के संयोग से तीन पुत्र हुए -
1) प्रकाशदास पत्नि पुराईन माता निर्वंशी रहे।
2) गुरू अबारनदास पत्नि गुलाब माता से दो पुत्र- प्रथम संतनदास एवं द्वितीय आशकरण दास जी
3) सुखनंदनदास पत्नि सुहागा माता की गोद से मकसुदनदास गुरू एवं अजयदास गुरू उत्पन्न हुए।
गुरू संतनदास जी के पुत्र प्रथम गुरू मुक्ति दास एवं द्वितीय पुत्र शक्तिदास जी
गुरू आशकरण दास जी को तीन संतान हुआ- प्रथम गुरू आसमदास, द्वितीय पुत्र फलदास एवं तृतीय मनहरणदास
गुरू अम्तमनदास एवं कनुका माता जी से गुरू अगमदास जी का जन्म हुआ। अगमदास जी का पूर्णिमा माता के साथ विवाह सन् 1915 मंे हुआ था। 1927 में माता सुमरीत के साथ उनका दुसरा विवाह हुआ। जिसमें मंतरा नामक एक पुत्री का जन्म हुआ था। तीसरा विवाह असम के मीनी माता से सन् 1932 में हुआ था और चैथा विवाह केवटा डबरी के माल गुजार रतिराम की सुपुत्री करूणा माता के साथ हुआ था जिनसे विजय गुरू उर्फ अग्रनामदास बाबा जी का जन्म हुआ। विजय गुरू एवं कौशल माता से गुरू रूद्रकुमार जी का जन्म हुआ आगे वंश जारी है।
Abhi present time ke bare me bhi kuch bataiye na sir
ReplyDeleteO sab galat bata rahe hy
Deleteयह जानकारी बहुत अच्छा है कृपया इस विवरण देने वाले का परिचय भी देते तो ज्यादा अच्छा होता
ReplyDeleteYe Jo bat likhe hy pura galat hy. Aap satname panth karke YouTube me search karo
DeleteJai satnam
ReplyDeleteAapke pas aur jankari hogi usko v social sites par daliye Sir ji jai satnam
ReplyDeleteAage aur bhi bataye sir
ReplyDeleteबाबा गुरु घासीदास जी के चार पुत्र और एक पुत्री थी. आपके द्वारा बताई गई कुछ बात गलत है. बालक दास जी के पत्नी के बारे में और उनके पुत्र के बारे में जानकारी गलत है. आप के द्वारा गुरु अमर दास जंगल से लौटा नहीं है. समाज को गुमराह मत करो गौरव शाली इतिहास है हमारा. हे सतनाम
ReplyDeleteतो जंगल से लौटे की नही
Deleteयहां बीना जानकारी के पोस्ट किया गया है इसे कहते है बिना नालेज का कॉलेज
Deleteसही बोल रहे हो
DeleteIske pahle ki kahani bataiye
ReplyDeleteUnke gotta konsa hai Bhai ratrre hai ya lhare
ReplyDeleteLahare hai
DeleteGalat jankari hai
ReplyDeleteगुरु अगम दास जी के विवाह के संबंध में उनके पहला ससुरार कहां है उसके बाद दूसरा, उसके बाद तीसरा, उसके बाद चौथा, क्रमवार ससुराल का नाम लिखें! कृपया डालें!
ReplyDeleteज !सतनाम!
Its rong
ReplyDeleteAbhi ke baare me kuch bataye
ReplyDeleteगुरु घासीदास बाबा जी का गोत्र है घिन्डोला
ReplyDeleteमै भी इसी वंसज का पुत्र हु गिरौदपुरी को छोड़कर हमारे दादा पर दादा घोड़ा मे बैठ कर ग्राम भेडिकोना मे बसने आ गये ! फिर हमारे वंसज वहा से हाथी मे सवार होके खोजते खोजते भेडिकोना तहसील मालखरौदा जिला जांजगीर चाम्पा आये थे आगे की जानकारी वंशावली का खोज चल रहा है
सर क्या आप भगवान को मानते हो
DeleteApna contact number dijiye
Deleteजाति क्या थी घासीदास जी की?
Deleteवर्तमान मे गोत्र बदलकर नवनीत रख दिया है
ReplyDeleteAapke davra likhi Gatha galat . Jab jankari nahi hy to nii likhana chahiye hamre satname purvaj ke bare me aysa galat bate Na likho.
ReplyDeleteजब अंग्रेजो ने जंग छिड़ दिया था तो और बहुत दुकाल पड़ जाने के कारण सब वहां से छोड़ कर हमारे दादा परदादा कालिदास साहेब जी के बाकि सब परिवार कई जगह दूसरे दूसरे गाऊँ मे आके बस गए जिसमे से मै जितना जनता हु वहा तक 1. लालमाटी
Delete2. भेड़िकोना
3. परशाडीह जिला जांजगीर चंपा छत्तीसगढ़ है
समाज को सही जानकारी तो
ReplyDeleteगुरु अमरदास जी के बारे में
बहुत ही घटिया वक्तव्य है जब पूरी जानकारी नही है जो किसी के बारे में गलत लिखने से पहले सोच समझ लेना चाहिए
ReplyDeleteगुरु घासीदास बाबा जी के चार पुत्र थे चौथे का नाम आंगड़िया दास था
ReplyDeleteप्रातः स्मरणीय संत बाबा गुरु घासीदास जी का कितना भाई बहन थे अगर जानकारी हो तो जानकारी देने का कृपा करें? 🙏जै सतनाम🙏
ReplyDeleteNanku nanku
ReplyDeleteJinko knowledge hai o proper vansavali bana k side m dale taki samjh ko pata chale or jankari mile
ReplyDeleteकिस जाति से थे गुरु घासीदास जी?
ReplyDeleteIska mujhe full hd me photo chahiye
ReplyDeleteब्लोगर को डिलीट करे या जानकारी अपडेट करे ,महोदय समाज को सही जानकारी देने के लिए गुरु वंसज से जानकारी ले ,आपने प्रयास की धन्यवाद
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